Pandemic Get link Facebook Twitter Pinterest Email Other Apps March 31, 2020 बरस जाने दो ये आसमाँ, आज बह जाने दो, कुदरत को रुख़सत की हसरत, मिटा लेने दो, रूठी है न जाने कबसे, उसको रुसवाई दिखाने दो, कालचक्र से अबोध हम, कुछ काम उसे भी निपटाने दो, नवनिर्माण के श्रोत से पहले विध्वंस उसको मचा लेने दो.. Read more