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Pandemic

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बरस जाने दो ये आसमाँ, आज बह जाने दो, कुदरत को रुख़सत की हसरत, मिटा लेने दो, रूठी है न जाने कबसे, उसको रुसवाई दिखाने दो, कालचक्र से अबोध हम, कुछ काम उसे भी निपटाने दो, नवनिर्माण के श्रोत से पहले विध्वंस उसको मचा लेने दो..